
Maa baap shayari
मां बाप शायरी
1. हे भगवान, बस इतना काबिल बनाना मुझे, जिस तरह मेरे ‘माँ-बाप’ ने मुझे खुश रखा, में भी उन्हें, बुढ़ापे में वैसे ही खुश रख सकूं ।।।।
2. जिंदगी में जादू बहुत देखें, पर यकीन बीमार होने पर “मां” के “नजर उतारने” वाले जादू पर सबसे ज्यादा हुआ ।।।।
3. अपनी जुबान की तेजी, उस मां पर मत चलाओ, जिस “मां” ने तुम्हे, बोलना सिखाया ।।।।
4. दुनिया में केवल “पिता” ही एक ऐसा इंसान है, जो चाहता है, की मेरे बच्चें मुझसे भी ज्यादा “कामयाब” हों ।।।।
5. जब कभी ‘मां-बाप’ के साथ बैठो तो, परमात्मा का धन्यवाद करो, क्योंकि कुछ अनाथ लोग इन लम्हों को तरसते है ।।।।
6. अपनी सफलता का रोब ‘माता-पिता’ को मत दिखाओ, उन्होंने अपनी जिंदगी हार कर आपको जीताया है ।।।।
7. ‘मां-बाप’ के पास बैठने के दो फायदे, आप कभी बड़े नही होते और ‘मां-बाप’ कभी बूढ़े नही होते ।।।।
8. हजारों फूल चाहिए एक माला बनाने के लिए, हजारों दीपक चाहिए एक आरती सजाने के लिए, हजारों बूंद चाहिए समुद्र बनाने के लिए, पर “मां” अकेली ही काफी है, बच्चो की जिंदगी को “स्वर्ग” बनाने के लिए ।।।।
9. जिंदगी की पहली teacher “मां”, जिंदगी की पहली friend “मां”, जिंदगी भी मां क्योंकि, जिंदगी देने वाली भी मां ।।।।
10. मेरी दुनिया में इतनी जो शोहरत है, मेरे ‘माता-पिता’ के बदौलत है ।।।।
Maa baap shayari
मां बाप शायरी
11. लबों पे उसके कभी बददुआ नही होती, बस एक “मां” है जो मुझसे कभी खफा नहीं होती ।।।।
12. सीधा-साधा भोला-भाला में ही सबसे अच्छा हूं, कितना भी हो जाऊ बड़ा “मां”, में आज भी तेरा बच्चा हूं ।।।।
13. किसी ने कहा अच्छे कर्म करो तो स्वर्ग मिलेगा, मैं कहता हूं ‘मां-बाप’ की सेवा करो जमी पर स्वर्ग मिलेगा ।।।।
14. कभी उस घर में सूनापन न हो, जिस घर में “मां” के चरण हो ।।।।
15. कभी आपके ‘मा-बाप’ आपको डांट से तो बुरा मत मानना, बल्कि सोचना की गलती होने पर वो नहीं डांटेंगे तो और कोन डाटेगा ।।।।
16. ये जो सख्त रस्तों पे भी आसान सफ़र लगता है…. ये मुझ को “मां” की दुआओं का असर लगता है, रहते हैं आस-पास ही लेकिन साथ नहीं होते, कुछ लोग जलते है मुझसे, बस खाक नहीं होते ।।।।
17. ऊपर जिसका अंत नहीं उसे आसमां कहते है, और जहाँ में जिसका अंत नही उसे “माँ” कहते है ।।।।
18. न अपनो से खुलता है, न गैरो से खुलता है, ये जन्नत का दरवाजा है, “माँ” के चरणों से खुलता है ।।।।
19. किसी का दिल तोड़ना आज तक नहीं आया मुझे, प्यार करना जो अपनी “माँ” से सीखा है ।।।।
20. अपनी आंखे बंद होने तक जो प्रेम करे वो “माँ” है, परंतु आंखों में प्रेम न जताते हुए भी जो प्रेम करे वो “पिता” है ।।।।